कालः सृजति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।” जिसका अर्थ है काल ही समस्त जीवों की सृष्टि करता है और वही उनका संहार करता है। इन उक्तियों से काल की महत्ता पता चलती है।ज्योतिषशास्त्र को कालविधान शास्त्र भी कहा जाता है क्योंकि काल का निरूपण भी ज्योतिष शास्त्र के द्वारा होता है।ऋषियों द्वारा यज्ञ आदि कर्मों के काल निर्धारण हेतु ज्योतिष शास्त्र का प्रयोग किया जाता था। काल के सम्बन्ध में उक्ति है “कालाधीहीनं जगत सर्वं।” अर्थात सारा जगत काल के अधीन है।